शनिवार, 2 अप्रैल 2011

ये बसंत की शुरुआत थी .

                                                     Artist - Pramod Kashyap





















एक  दिन  मैंने  पहाड़  से  कहा -
पहाड़
मै  तुम्हारी  तरह  होना  चाहता  हूँ
सोना  चाहता  हूँ
भीतर  तक  हरे  नींद  से  लबालब  भरकर
रोना  चाहता  हूँ
इतना
की  भीतर  का  सारा  मैल  धुल  जाए
पहाड़
मै  तुम्हारी  ही  तरह  बड़ा  होना  चाहता  हूँ
बहुत  बड़ा
इतना
की  सारी  तकलीफें  और  दुख
छोटे  और  छिछोरे  जान  पड़ें

पहाड़  ने  मुस्कुराकर  मेरी  तरफ  देखा
और  आंखे  मूँद  ली
और  ढेर  सारे  पत्ते  एक  साथ  झरने  लगे .

दरअसल
ये  बसंत  की  शुरुआत  थी .

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