शुक्रवार, 3 जून 2011

चिड़ियों की भाषा


मेरे क्लास में है
दोपहर की एक भरी-पूरी नींद
मेरे क्लास में है
एक पपीते का पेड़
जिसके कच्चे - और पके दोनों ही फल
खूब मिठाते हैं
मेरे क्लास में है
एक, दो पंक्तियों का गीत
जिसे सुबह से शाम तक
हम सभी गुनगुनाते रहते हैं
मेरे क्लास में है 
खूब चमकती हुई आँखे
ढेर सारी हंसी का शोर
कांच के टुकड़ों सा चमकता धूप
खूब मीठा धूप
जो हमारे क्लास के बाहर वाली लान पर
सबसे ज्यादा ठहरता है .

मेरे क्लास के बच्चे(बच्चे नहीं हैं वो )
यानि की मेरे दोस्त
इंसानों की नहीं
बल्कि चिड़ियों की भाषा में बात करते हैं .

मेरे क्लास के दोस्त
पता नहीं 'उदासी ' शब्द का अर्थ
जानते भी हैं या नहीं
हालाँकि ये शब्द मेरे लिए तो बिछौना है
पर उनके बैग के किसी खाने में
मुझे इस रंग की कोई डिब्बी नहीं मिली
(जाने कंहा छुपाकर रखते हैं साले .......)

खैर,
मेरे क्लास के सारे बच्चे (सॉरी, बच्चे नहीं हैं वो)
चिड़ियों की भाषा में बात करते हैं
बस कभी-कभी ही ऐसा होता है
जब मुझे उनकी भाषा समझ में नहीं आती
क्या पता तब वो इंसानी भाषा का इस्तेमाल करते हों.

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