रविवार, 15 सितंबर 2013

बेचारे शब्द

                                                                  Artist - Tulsi Ram

















बाप रे 
कितना तो सहते हैं 
ये बेचारे शब्द 
भीतर का सारा मैल  उड़ेल दो इन पर 
फिर भी बिना उफ्फ किये
चुपचाप बिछते चले जाते हैं पन्ने पर 
तुम्हारा क्या है 
तुम तो जनाब चल दिए मुँह उठाए 
दुःख बटोरने 
पर लाकर मत्थे तो मढोगे इन्ही शब्दों के सर 
उस  पर भी तुर्रा ये 
कि अनुभव हैं 
अरे महराज 
अपने पिछवाड़े डालो ये अनुभवों की पोटली 
जिनसे ना ढँग की कविता बनती है 
और ना कोई काम
ऊपर से शब्दों का जो हर्जा होता है 
सो अलग. 

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