शनिवार, 2 अप्रैल 2011

सब कुछ के अघटे मे

                                                         Artist - Henri Rousseau
















मै तुम्हारे लिए लिखना चाहता हूँ

एक कविता

कि  देना चाहता हूँ तुम्हें शब्द

उनके रूप और गंध

कि  महसूस सकूँ जेहन मे

तुम्हारा रूप और गंध

मै लिखना चाहता हूँ

तुम्हारे लिए-

फूल
पत्ती
पेड़
पहाड़

और
बसंत के ये चमकीले दिन

कि  भटकते रहें पन्नों पर

सब कुछ के अघटे मे

और स्मृति की चाहना बची रहे.

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