बुधवार, 9 जुलाई 2014

तुम सब घटिया लोगों का लेखा जोखा हूँ मैं

                                                                        Artist - Myself




















तुम सब घटिया लोगों का लेखा जोखा हूँ मैं 

तू अपना नाम भी जोड़ ले उसमे 

ऐसी नफरत 
जिसमे बच्चे झूठ हैं 
कविता कोढ़ 
सच साधू 
मैं जादूगर 
तू कुतिया 
दोस्त दगाबाज़
नागार्जुन कौन ??

आते हुए कहूँगा
जाते हुए चुप था
बेशरम
ऐसी व्यस्तता
जैसे बहुत खाली समय

क्या ये गुलाब है ??

सूंघकर खट्टा
मेरे नाम का बट्टा
खट्टा वट्टा
झूठ का सट्टा
उसी से लियो खलबट्टा
जिसमे झूठ सच सब पीस जाता है

घिस जाती है घाम
घाम मतलब धूप
मतलब ऊब
मतलब ऊँघ
जैसे छोटा सपना
खटना जाए खटाई में
मुक्तिबोध को मिले कमाई में
चाँद का मुँह टेढ़ा

जिस दिन सूरज खाऊंगा
उस दिन बताऊंगा
कितना नंगा हूँ मैं
बहुत चंगा हूँ मैं.

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