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Artist - Raj Kumar Sahni |
आओ चलें
कहाँ ??
मरने।
कुछ भी लिखकर उसे कविता कहना था
मेरी सारी बेवकूफियाँ
गलती से
हारी हुई बाज़ियाँ हैं
जानबूझकर
के अकेलेपन में
एक चित्र
चीखता हुआ आदमी
और कुछ नहीं
कि तरह सिर्फ चीख
जैसे गुनगुनाता हुआ मुर्दा हो
या मुर्दे
और मार्च
नीला पीला लाल सलेटी।