रविवार, 17 जून 2012

तितली


बहुत पुरानी कविता है, डायरी में पड़े बिसुर रही थी तो आज ब्लाग पे लगा रहा हूँ...  J

                                                Artist- Pramod Kashya
                                               










  





एक उदास दोपहर में
अपनी ऊबी हुई आँखों को मलते हुए
मैंने अखबार उठाया
जिसके पहले पन्ने पर
इक्कीसवीं सदी का सबसे बर्बर पशु
स्वघोषित नायक
मुस्कुराती आँखों से मुझ पर हंस रहा था
मैंने आईने में अपनी बिगड़ी हुई शक्ल देखी
और अखबार को गुस्से में आकर डस्टबिन में फेंक दिया
और अपनी उकताहट को कमीज़ की तरह उतारकर
खूंटे से टांग दिया
फिर टीवी खोलकर अश्लील चित्र की प्रतीक्षा करने लगा
पर ये क्या
वहाँ तो रंग था
केसरिया
जलते हुए मकान, मरते हुए किसान
बम और लाशें और धुँआ
ईराक में, अफगान में, गुजरात में
ये तो हद है कहकर मैंने टीवी बंद कर दिया
या तो इस दुनिया को बर्दाश्त करो या छोड़ दो
ये तो पागलपन है
कहकर मै बालकनी में चला आया
खुदखुशी करने
तो क्या
खिडकी से झांककर भी आत्महत्या की जा सकती है
और तभी जवाब की तरह
खिडकी के रास्ते एक नाज़ुक सी तितली
मुझे आश्चर्य में डालती हुई कमरे के भीतर चली आई
मै हैरान
अरे ये क्या
उसके पंखों पर मेरे गाँव का पहाड़ था
और धुला हुआ साफ़ सफ़ेद खरगोश जैसे दिन
बाप रे
उसके पंखों पर
धरती का समूचा हरापन था
और आसमान की नीलाई
उसकी आँखें उम्मीद थीं
और उसके फड़फड़ाहट में जीवन
ये कोई सपना तो नहीं
मैंने आँखें झिपझिपाई
और दरवाज़ा खोलकर
धूप को भीतर आने दिया
धूप के साथ मिलकर
तितली ने इन्द्रधनुष के रंग बिखेरे
मैंने खुद से फिर कहा
अरे पगले
ये तो कोई सपना ही है
कुछ देर पहले ही तो मैंने देखा था
केसरिया रंग
और गिरते हुए बुद्ध की प्रतिमा को
तितली मुस्कुराई
मानो उसने जान लिया हो
की मै क्या सोच रहा हूँ
और कमाल है
की मैंने उसकी मुस्कराहट को देखा
शीशे जैसा साफ़,शफ़्फ़ाक़
जैसे किसी बच्चे की निश्चिन्त नींद हो
जैसे बूढी दाई के हाथ की झुर्रियाँ हों
जैसे माँ के खरहरी झाड़ू का शोर हो
सुबह में जगाता हुआ सा
एक नन्ही सी तितली में इतनी जान
की पूरी दुनिया की उदासी बुझा दे
वाकई
एक नन्ही सी तितली
पूरी एक दुनिया है
रंगों से भरी हुई
जहाँ सेमल और पलाश के फूल हैं
जहाँ घर जैसे दिन हैं
और चाहना की आँखों जैसी शामें
और वहाँ झंडे नहीं हैं
और न ही झूठ मूठ के नारे
और वो घटिया हंसी वाले लोग भी नहीं
जो कई कई मुखौटे बदलकर
टीवी और अखबारों में अश्लीलता से मुस्कुराते हैं
और झूठे सपने दिखाते हैं
सचमुच एक नन्ही सी तितली
पूरी एक दुनिया है..


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