Screen shot - Melancholia |
और बाकी सब तो ठिक ठाक है
ऐसा मैं कहता
पर नहीं कहूँगा
की बस एक कविता कि कमी है
रहती है
होती है
बुलाता हूँ
आती है
चली जाती है
फिर रुकने के लिए कहता हूँ
फिर जाने के लिए कहता हूँ
जाती है
और नहीं आती है
फिर आएगी
जब नहीं बुलाऊंगा
जैसे बिना बुलाए ही
दुःख चला आता है
आती है
आएगी
आ रही होगी
पर रुकेगी नहीं
जैसे बिना बुलाए ही
दुःख चला आता है
आती है
आएगी
आ रही होगी
पर रुकेगी नहीं
बड़ी हरामन होती हैं ये कविताएं
खुद नहीं रहतीं
बस इनकी कमी रहती है
बाकी तो सब ठिक ही ठाक है।