शनिवार, 30 नवंबर 2013

और बाकी सब तो ठिक ठाक है


                                                 Screen shot - Melancholia












और बाकी सब तो  ठिक  ठाक  है
ऐसा मैं कहता
पर नहीं कहूँगा 
की बस एक कविता कि कमी है 
रहती है 
होती है 

बुलाता हूँ 
आती है 
चली जाती है 

फिर  रुकने के लिए कहता हूँ 
फिर जाने के लिए कहता हूँ 

जाती है 
और नहीं आती है 

फिर आएगी 
जब नहीं बुलाऊंगा
जैसे बिना बुलाए ही
दुःख चला आता है

आती है
आएगी
आ रही होगी
पर रुकेगी नहीं  

बड़ी हरामन  होती हैं ये कविताएं 
खुद नहीं रहतीं 
बस इनकी कमी रहती है 

बाकी तो सब ठिक ही ठाक है। 






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