गुरुवार, 14 मार्च 2013

ला लल्लल्ल ला लाल लाल

                                              Photographer - Mehdi Jahan
















बहुत उदासी थी
कि जब भी तुम्हे सोचता
एक फूल का उसी वक्त झर जाना होता
जबकि पिछले मौसम के इन्ही दिनों में
एक शाम थी
एक शाम है
और मेरे सामने से ही एक सांप गुज़रा
दूर दूर तक फैली भीड़ के बीच से 
सरसराते हुए.

इतनी उदासी में
कि जब भी तुम्हे भूलता
एक चिड़िया का उसी वक्त डर जाना होता
जबकि इस मौसम के पिछले दिनों में
मैंने एक बैल के सींग काटे
एक सूअर को हलाक किया
और एक कुत्ते के पूँछ में लाल रिब्बन बाँधा.

अच्छी उदासी है
और जबकि तुम नहीं हो इन्ही दिनों में  
खूब सारे सेमल के फूल दिखते हैं
ला लल्लल्ल ला लाल लाल.

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