Artist - Myself |
मह मह महकते मोगरे की तरह
सूंघता हूँ तुम्हे
बहुत थका होने पर भी
भागकर चढ़ जाता हूँ सीढियाँ
चौथे माले के हमारे कमरे तक
रोज़ आती है एक अदृश्य गौरैय्या
तुम्हारे चहचहाने में शामिल
हमारे शामिल से गायब
उदासी जो मेरे साथ बड़ी हुई थी
कहीं रखकर भूल गया हूँ
कौन है जिसे याद कर मुस्कुराती हो
जब अपने जलते हुए सीने में नंगे पाँव दौड़ता हूँ
धीरे से फुसफुसाकर कह दिया करो
मैं थोड़ी देर और सो लूंगा
तुम थोड़ा सा और हंस लेना।
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