शुक्रवार, 25 अप्रैल 2014

आईना सफ़ेद बिल्ली और साला अजगर

                                          Screen Shot -The Shining
      





















 १. 

अजगर कि तरह 
'मैं'

"तुम बाजीगर हो"
- कहकर 
सफ़ेद बिल्ली हँसी  

हँसी तो फँसी 
कहते हैं 
सोचकर 
झपटा आलसी अजगर 
बिल्ली फुर्र 
गुर्र गुर्र 

अब मैं आराम से फ़िर सो सकता हूँ 
सोचकर साला अजगर 
मुस्कुरा रिया है.… 

       २. 

मैं आईने मे दिखता हूँ 
आईना मुझे घूरता है 
और हम दोनों शर्मिंदा होते हैं 
यहीं से दुनिया शुरु 

कमरे के एकदम कोने मे 
दुनिया के बिल्कुल शुरुआत कि तरह 
अपने आखिर कि तरफ़ 
एक सफ़ेद बिल्ली 
पालतू 
फालतू
मुझे ताड़ती हुई 
मैं उसे देखता हुआ 
यहीं पे दुनिया खतम..... 

       ३. 

दरअसल 
मुझे कुछ ऐसा लिखना था 
की दूसरों के कपड़े उतारते हुए 
मैं खुद नंगा 
इस तरह कविता ना हुई 
स्नानघर हो गया

चलो अब कहानी कहते हैं
बोलकर बिल्ला पालतू 

(मगर फ़ालतू)
अभी हँसा 
माँ कसम 
बिलकुल अब्भी....… 

गुरुवार, 10 अप्रैल 2014

बेकार वेकार

                                                        Artist - Ashutosh Tripathi
रुका हुआ 
तगड़ा 
मगर 
लंगड़ा 
समय 
में 
से 
निकालता 
उड़ेलता 
उल्टी करता 
कलाकार 
सिपहसलार 
तगड़ा 
मगर लंगड़ा 
बेकार 
                                                                                      वेकार.... 

बच्चों कहानी ख़तम हुआ

   Artist - Ashutosh Tripathi




जंगल में मोर नाचा किसने देखा ?

    मैंने देखा 
      मैंने देखा 
         कहते हुए 
           दो अंधे लड़ पड़े 
            गूंगा उन्हें समझाते हुए 
           मुर्गी और मोर में 
         अंतर बतलाता है 
      ऐसी ही बारिश में 
    चूज़े का जन्म हुआ
  बच्चों कहानी ख़तम हुआ

कहकर उल्लू चुप लगा जाता है। 

प्यार में कभी कभी ऐसा हो जाता है

                                                 Artist - Rohit Dalai

आलू कचालू 
दो भाई थे 
दोनों हरामी 
सो रहे थे 
मम्मी बेचारी
पिट रही थी 
(सॉरी रॉन्ग नंबर)
मम्मी कमीनी 
जो पीट रही थी 
पापा 
निगोड़े 
जो गा रहे थे -
"प्यार में कभी कभी 
ऐसा हो जाता है 
छोटी सी बात का 
फ़साना बन जाता है. "


मंगलवार, 25 मार्च 2014

और मार्च

                                                      Artist - Raj Kumar  Sahni














आओ चलें

कहाँ ??

मरने।

कुछ भी लिखकर उसे कविता कहना था

मेरी सारी बेवकूफियाँ
गलती से
हारी हुई बाज़ियाँ हैं
जानबूझकर
के अकेलेपन में

एक चित्र

चीखता हुआ आदमी
और कुछ नहीं
कि तरह सिर्फ चीख
जैसे गुनगुनाता हुआ मुर्दा हो
या मुर्दे
और मार्च
नीला पीला लाल सलेटी।

रविवार, 26 जनवरी 2014

मैं गुमानी रुकुंगा

                                Artist - Rene Magritte


















 

      १.

मैं गुमानी
तू बदग़ुमान
आसमान
पहलवान
बदज़ुबान
बेईमान
बनकर
भी
मैं सिर्फ गुमानी
तू बदग़ुमान
जवान
पकवान
सुन्दर
मुन्दर।

     २.

राजा रानी
प्रजा फ्रजा
अगैरह वगैरह
सब
जाएंगे
जाते हैं
जाना ही पड़ेगा
रुकुंगा कि तरह
कुछ लोग रुक जाएंगे
रुके हैं
रुकते हैं
रुकुंगा।  

दिल्ली


                                                Artist -  Rameshwar Broota














     

          १.

एकबारगी में हुआ
फिर बार बार
सात एक आठ पाँच
बदलते हुए
कपड़ों कि तरह
उतारता
केंचुल
शहर एक ही अटक गया
गया
फिर आ गया
एकबारगी में जाऊँगा
फिर बहुत दिन बाद
आने के लिए।

        २.

कल्पना में झुकती है
कान में
खिड़की में सरकता है
इंडिया गेट फ़िंडिया गेट
मुझसे कहो दिल्ली
धीरे से
ही ही ही ही
जामुन और शहतूत के पेड़
हरी सड़कें
और ढेर सारी लड़कियां
खूबसूरत
ऊबसूरत
और उदासी ऊब पागलपन
मतलब दिल्ली
ही ही ही ही।

        ३.

यहाँ बड़े लोग
इधर छोटे
ये बाकी बचा बीचवालों के लिए
तुम कहाँ
कोहरा है वहाँ
जहाँ हरी बड़ी पीली मकानें
बंगला फंगला
कहाँ
उधर जाना है
बगल से गुजरोगे
लालची
सचमुच
पता नहीं।