Artist - Jiten Sahu |
एक दिन मै उदास था
बहुत उदास
और तब
एक प्यारी सी बच्ची मेरे पास आई
और अपनी बंद मुट्ठियाँ
मेरे आगे बढ़ाकर कहा –
“इनमे रंगीन तितलियों कि छुअन है
खट्टे इमली कि गंध
और कच्चे बेरों कि मिठास है
और मेरे मासूम गुड़ियों कि खिलखिलाहट
भी
कल रात ही इनमे मैंने सितारों को भिंचा
था
और सुबह सूरज को
इन्ही मुट्ठियों से निकलकर उगना पड़ा है
तुम मेरी इन मुट्ठियों को खोलो
और अपने लिए
जिंदगी के कुछ मानी चुन लो
कुछ मुस्कुराहटें खींच लो
और बहुत हुआ अब हंस भी दो”
हा हा हा ....
मै हंस रहा था.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें