Artist - Myself |
वो बहुत दूर दूर से आते हैं दिल्ली
कमाने खाने और कुछ बचाने को
पहनते हैं चांदनी चौक के पटरी से खरीदी
जींस
हँसते हैं अश्लीलता से
देखकर दिल्ली कि लड़कियों को
चिचोड़ते हुए पांच रुपल्ली आइसक्रीम
कभी लहकते हैं देखकर
रात में चमकता कनाटप्लेस
और घुमते हैं यूँ उन्मुक्तता से
मानो गाँव का बाजार हाट-हटरी हो
पर जल्द ही पहचान लेते हैं
बगल से गुज़रते लोगों कि नज़रें
और किनारे खड़े हो याद करते हैं
गाँव के बाज़ार हाट-हटरी को
फिर थककर लौट आते हैं और पसर जाते हैं
अपने अपने झोपड़पट्टियों में
ताकि सुबह समय पर पहुँच सकें
खोदने बनाने को दिल्ली
साफ़ करने को पखाने
धोने पोंछने को निजामुद्दीन और नई दिल्ली
रेलवे स्टेशन
वो जवानी कि दहलीज़ पर खड़े
दिल्ली कि स्वच्छता के प्रतीक हैं.
ek dumreal ghatna pr hai apki kavta
जवाब देंहटाएं(wondefull.)