मैं सिर्फ लिखने के लिए जागता हूँ
और जागते हुए सोचता रहता हूँ
कि ऐसा क्या लिखूं
जो नींद आ जाए
फिर बीच बीच में
रह रहकर
कुत्ते भौंकते हैं
पर इससे मेरे नींद की सोच में
कोई खलल नहीं पड़ता
और चाँद हमेशा से ही बदसूरत था
और मई कि इस रात के बारे में क्या कहूँ
ऊपर से ये बहनचोद मच्छर
इनका बस चले तो मेरी जान लेकर ही मानें
इन पर और कैसी कविता लिखूँ?
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