रविवार, 19 मई 2013

चाँद हमेशा से ही बदसूरत था


                                                       Artist - Basist Kumar


















कभी कभी
मैं सिर्फ लिखने के लिए जागता हूँ
और जागते हुए सोचता रहता हूँ
कि ऐसा क्या लिखूं
जो नींद आ जाए

फिर बीच बीच में
रह रहकर
कुत्ते भौंकते हैं
पर इससे मेरे नींद की सोच में
कोई खलल नहीं पड़ता

और चाँद हमेशा से ही बदसूरत था

और मई कि इस रात के बारे में क्या कहूँ 
ऊपर से ये बहनचोद मच्छर
इनका बस चले तो मेरी जान लेकर ही मानें

इन पर और कैसी कविता लिखूँ?

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