बुधवार, 29 मई 2013

इसलिए मुस्कुराता हूँ

                               Artist - Rohit Dalai





















एक दिन सब समझ जाऊँगा
या कह लो सब
धीरे धीरे समय के साथ ही समझ आता है
कहना झूठ है

अभी सिगरेट के साथ यहीं तो रखा था माचिस
कहाँ गया बहनचोद....हद्द है यार
कहकर चिडचिडाते हुए खुद पर चिल्लाता हूँ
(अब कौन साला फिर उठकर माचिस ढूंढें)
और शर्ट की जेब में
नए माचिस का जन्म होता है
मैं खिलखिलाता हूँ  

नहीं समझना कुछ

या तो सब बकवास है
या सब का कुछ मतलब है
(इतने मतलबों का भला क्या मतलब है)


और कहते हैं
कि एक दिन सब ठीक हो जाता है
का मतलब मर जाना है
का मतलब
उस दिन सब ठीक हो जाता है

बकवास

हा हा हा हा  

समझ गया हूँ
पर समझ नहीं पाता के भाव से
कविता जन्म लेती है


इसलिए मुस्कुराता हूँ.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें