Artist - Ramkumar |
आसमान में चुप्पी का मतलब
मैं चाँद की रौशनी में
गाँव को याद करता हूँ
मुनगे की छितराई छाँव में
घर को टटोलता हूँ
हाट हटरी के शोर में
पिताजी को देखता हूँ
मन की मछली खरीदते
जिसे घर लाकर वो स्वयं पकाते हैं
चुल्हा भाभीजी जलाती हैं
मसाला पीसकर मछली माँ तलती हैं
की अगर चूल्हा भाभीजी ना भी जलाएं
तो भी चाँद की हलकी आंच पर
पिताजी मछली तल ही लेंगे
ऐसा मैं सोचता हूँ
और चाँद मुस्कुराने लगता है
आसमान में चुप्पी का मतलब
आँगन में लेटे पिताजी की खांसी है
और भिनसरहा में
माँ की खरहरी झाड़ू का शोर है
आसमान में चुप्पी का मतलब
मेरे घर पहुँचने तक का रास्ता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें