Artist - Raj Kumar Sahni |
आओ
जाओ
उतरो
कहाँ
गड्ढे में
चड्डी में
झरता
झरना
दो
एकम
दो
दो दूनी चार
कि तरह बहुत बीमार
कि तरह कि ख़ामोशी
जैसे ट्रेन कि धड़धड़ाहट
हड़बड़ाहट बड़बड़ाहट
हा हा हा जैसी हंसी
और म्याऊं म्याऊं करती बिल्ली
कमरे मे झक्क सफ़ेद
(पडोसी कि पालतू)
फालतू कुछ नहीं होता
कि तरह
आस पड़ोस लोग सड़कें बाज़ार पार्क बच्चे गेंद कुत्ता बेंच घास
और जनवरी कि धूप।
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