शुक्रवार, 24 जनवरी 2014

और जनवरी कि धूप

                                                     Artist - Raj Kumar Sahni


















आओ
जाओ
उतरो
कहाँ
गड्ढे में
चड्डी में
झरता
झरना
दो
एकम
दो
दो दूनी चार
कि तरह बहुत बीमार
कि तरह कि ख़ामोशी
जैसे ट्रेन कि धड़धड़ाहट
हड़बड़ाहट बड़बड़ाहट
हा हा हा जैसी हंसी
और म्याऊं म्याऊं करती बिल्ली
कमरे मे झक्क सफ़ेद
(पडोसी कि पालतू)
फालतू कुछ नहीं होता
कि तरह
आस पड़ोस लोग सड़कें बाज़ार पार्क बच्चे गेंद कुत्ता बेंच घास
और जनवरी कि धूप।

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