बुधवार, 9 जुलाई 2014

तुम सब घटिया लोगों का लेखा जोखा हूँ मैं

                                                                        Artist - Myself




















तुम सब घटिया लोगों का लेखा जोखा हूँ मैं 

तू अपना नाम भी जोड़ ले उसमे 

ऐसी नफरत 
जिसमे बच्चे झूठ हैं 
कविता कोढ़ 
सच साधू 
मैं जादूगर 
तू कुतिया 
दोस्त दगाबाज़
नागार्जुन कौन ??

आते हुए कहूँगा
जाते हुए चुप था
बेशरम
ऐसी व्यस्तता
जैसे बहुत खाली समय

क्या ये गुलाब है ??

सूंघकर खट्टा
मेरे नाम का बट्टा
खट्टा वट्टा
झूठ का सट्टा
उसी से लियो खलबट्टा
जिसमे झूठ सच सब पीस जाता है

घिस जाती है घाम
घाम मतलब धूप
मतलब ऊब
मतलब ऊँघ
जैसे छोटा सपना
खटना जाए खटाई में
मुक्तिबोध को मिले कमाई में
चाँद का मुँह टेढ़ा

जिस दिन सूरज खाऊंगा
उस दिन बताऊंगा
कितना नंगा हूँ मैं
बहुत चंगा हूँ मैं.

सबसे नकली कवि

                                        Artist - Francis Bacon


























इस ईमान पोंकते समय में
कैसे लिखूँ
एक ईमानदार कविता
मेरी बेईमानी तो कविता के पहले अक्षर से ही रंग पकड़ लेती है
मैं लिखता हूँ सिर्फ इसलिए
कि खाली दिन की बीमारी और बोझिलता कुछ कम
 हो

इंटरनेट पर पोर्न फिल्में देखना
खुली आँखों से
सड़क  पर चलती लड़कियों के
उभारों और किनारों पर
लपलपाना थपथपाना
किसी बहुत चुतियाप भरी बात पर झल्लाना
बड़बड़ाना
गिड़गिड़ाना
और कोरे कुँवारे पन्ने पर कोई बकवास सी कविता
लिखना
दीखना
जैसे गायब हूँ
इन्हे करने में मेरी उतनी ही ईमानदारी है
जितना की
अपने मरे हुए पिता से प्रेम

मैं इस असली और ईमानदार समय का
सबसे नायाब नगीना
कविताएँ हगता हुआ
सच और सही को
ठगता हुआ
सबसे नकली
कवि हूँ
रवि हूँ
हूँ।

शुक्रवार, 4 जुलाई 2014

हैं जी मीर जी

                                                                                                    Artist - Myself
















दिल्ली पे
थूक दो
मूत दो
चाट लो
बाँट लो
चढ़ जाओ
डर जाओ  
लड़ जाओ
मर जाओ  

दिल्ली चालाक है
कुतिया बदज़ात है

दिल्ली को
काट दो
छील दो
हूँक दो
फूँक दो
तोड़ दो
मोड़ दो
पकड़ के
रगड़ दो

दिल्ली में शोर है
दिल्ली कमज़ोर है

दिल्ली में
रंग है
ढंग है
अंग है
संग है

माँ कसम दिल्ली 
बेरंग और बेढंग है

फिर भी रहना दिल्ली में

हैं जी मीर जी ...