Artist - Myself |
तुम सब घटिया लोगों का लेखा जोखा हूँ मैं
तू अपना नाम भी जोड़ ले उसमे
ऐसी नफरत
जिसमे बच्चे झूठ हैं
कविता कोढ़
सच साधू
मैं जादूगर
तू कुतिया
दोस्त दगाबाज़
नागार्जुन कौन ??
आते हुए कहूँगा
जाते हुए चुप था
बेशरम
ऐसी व्यस्तता
जैसे बहुत खाली समय
क्या ये गुलाब है ??
सूंघकर खट्टा
मेरे नाम का बट्टा
खट्टा वट्टा
झूठ का सट्टा
उसी से लियो खलबट्टा
जिसमे झूठ सच सब पीस जाता है
घिस जाती है घाम
घाम मतलब धूप
मतलब ऊब
मतलब ऊँघ
जैसे छोटा सपना
खटना जाए खटाई में
मुक्तिबोध को मिले कमाई में
चाँद का मुँह टेढ़ा
जिस दिन सूरज खाऊंगा
उस दिन बताऊंगा
कितना नंगा हूँ मैं
बहुत चंगा हूँ मैं.
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