शुक्रवार, 4 जुलाई 2014

हैं जी मीर जी

                                                                                                    Artist - Myself
















दिल्ली पे
थूक दो
मूत दो
चाट लो
बाँट लो
चढ़ जाओ
डर जाओ  
लड़ जाओ
मर जाओ  

दिल्ली चालाक है
कुतिया बदज़ात है

दिल्ली को
काट दो
छील दो
हूँक दो
फूँक दो
तोड़ दो
मोड़ दो
पकड़ के
रगड़ दो

दिल्ली में शोर है
दिल्ली कमज़ोर है

दिल्ली में
रंग है
ढंग है
अंग है
संग है

माँ कसम दिल्ली 
बेरंग और बेढंग है

फिर भी रहना दिल्ली में

हैं जी मीर जी ...

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