Artist - Francis Bacon |
इस ईमान पोंकते समय में
कैसे लिखूँ
एक ईमानदार कविता
मेरी बेईमानी तो कविता के पहले अक्षर से ही रंग पकड़ लेती है
मैं लिखता हूँ सिर्फ इसलिए
कि खाली दिन की बीमारी और बोझिलता कुछ कम
हो
इंटरनेट पर पोर्न फिल्में देखना
खुली आँखों से
सड़क पर चलती लड़कियों के
उभारों और किनारों पर
लपलपाना थपथपाना
किसी बहुत चुतियाप भरी बात पर झल्लाना
बड़बड़ाना
गिड़गिड़ाना
और कोरे कुँवारे पन्ने पर कोई बकवास सी कविता
लिखना
दीखना
जैसे गायब हूँ
इन्हे करने में मेरी उतनी ही ईमानदारी है
जितना की
अपने मरे हुए पिता से प्रेम
मैं इस असली और ईमानदार समय का
सबसे नायाब नगीना
कविताएँ हगता हुआ
सच और सही को
ठगता हुआ
सबसे नकली
कवि हूँ
रवि हूँ
हूँ।
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