शुक्रवार, 1 अप्रैल 2011

लाल कथरी पर सफ़ेद धागा लाईनदार

                                                      Artist - J. Swaminathan

















आसमान मे बहुत सारे तारे चमक रहे हैं
आँख मूंदता हूँ ,और दिख जाती है कथरी सिलती
गाँव की बूढ़ी अम्मा
जो पिछले बरस ही परलोक सिधार गई
लाल कथरी मे सफ़ेद धागा
जैसे काली चुनट पे
सलमा सितारा जड़ा हो
जैसे आसमान मे तारे चमक रहे हैं 
लाल कथरी पर सफ़ेद धागा लाईनदार
और बूढ़ी अम्मा के चेहरे की
लाईनदार झुर्रियां
गोरसी की आग मे तपी हुई
हल्की लाल दमकती
फिर कंपकपाती उँगलियाँ
झुकी हुई देह और
लुगरा के पीछे से झाँकते लटकते स्तन,
जैसे उसके कमर पे खूंसी चिल्हरदानी हो
लाल मटमैली मुचड़ी हुई
जैसे उसके कमजोर चेहरे पर
दीपदीप - झिपझिप करती दो आंखे हों ।
बूढ़ी अम्मा का लुगरा
(एकमात्र साड़ी, जिसे रोज़ तालाब मे नहाते हुए धोया और फिर पहन लिया)
हरे रंग का है...।
मै आँख मूंदकर देखता हूँ
लाल कथरी पर सफ़ेद धागे टंके हैं
आसमान मे जड़ा सलमा - सितारा
सफ़ेद फूल - पत्ती बन
बूढ़ी अम्मा के लुगरा मे छुप गए  हैं
आँख खोलता हूँ , हाथ सहलाते हैं
लाल कथरी को ,
पर टंके सफ़ेद धागे को
और मेरी सुबह हरे और लाल दोनों ही रंगो मे
रंगी हुई निकलती है ।

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