Artist - Van Gogh |
मै कुछ नहीं सोचते हुए
किसी हरे जंगल को घोंटकर
पी जाना चाहता हूँ
जैसे वान गाग कभी-कभी
ताज़ा घोलकर रखे हुए रंग गटक जाता था
समूचे आसमान को निचोड़कर
इकठ्ठा हुए नीले रंग से
कुल्ला, शौच, और नहाने जैसा
ज़रूरी
(या गैरज़रूरी)
काम निपटाना चाहता हूँ
की सुथरा लगूं
और चूँकि कहने को मेरे पास कुछ भी नहीं है
इसी मारे अपनी सभी चुप्पियों को चुनकर
एक चीख की तरह कुछ बुनता हूँ
और उसे कविता कहते हुए
सूरजमुखी लिखता हूँ .
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