मैंने बहुत सोचा
की तुम्हे क्या दूँ
थे कुछ पैसे जेब में ,जैसे नहीं थे
कुछ इच्छाएँ थी मन में
की बरसों बरस खर्चता रहूँ
फिर सोचा कुछ दूँ
जो बचा रहे बिलकुल आखिर तक
और भीतर से कोड़ लाया ये शब्द -
बादल में बहुत सारा धुंध तैरता रहता है
जैसे रिश्तों में पीड़ा
ढेर सारे भूले किस्से ,बीत गए समय में
घर के पुराने कोने
मेरे और तुम्हारे बेतुके झगडे
फिर बंद घडी की सुइयां
(वही नीली डायल वाली घडी,
जो बाबूजी के हाथ से उतरने के बाद हमारा खिलौना था)
सभी आज ही के दिन समेट लो
आगे भी तो कितने सारे बरस हैं
उन्हें भी तो जीना है.
HAPPY BIRTHDAY PINTU
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