परसा
शुक्रवार, 3 जून 2011
एस्थेटिक सेन्स
Artist - Mithu Sen
सर्दियों के बीत जाने पर
मै सर्दी के दिनों को याद करता हूँ
जब होली गुज़र जाती है
तो कहता हूँ -
"होली गुज़र गई "
जब मै लिखता हूँ सेमल
तो सेमल की नंगी शाखों पर
कव्वे पंख फडफडा रहे होते हैं
लगता है मुझमे एस्थेटिक सेन्स की कमी है .
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