Artist - Rohit Dalai |
एक छोटा सा दुःख
आंसू का एक कतरा
पीपल का पीला पत्ता
आकांक्षा का नीला आकाश.
देर से घर लौटे
थोड़े नशे में पिता
और उनका लाड़
फूली सिंकी हुई रोटियां
गोरसी का ताप
ब्याही बड़ी दीदी कि बात
घर का सबसे प्यारा कोना
मन का.
भाई से झगड़े
कंचे के खेल में
कुहनी और घुटने छीले.
चिमनी कि रौशनी
सफ़ेद रजाई
सफ़ेद दिन
गाँव से बाहर
घर के भीतर
मन के भीतर.
दिन कि थकान
शहर कि थकान
मन कि थकान.
एक छोटा सा सुख
छोटी सी मुस्कान
थोड़े से गेंहू कि चमक
घास का एक तिनका
किसी लड़की के लिए
पहली बार उमड़ी
प्यारी सी
चाहना
थाहना
मन को.
पाव भर दूध का लोटा
भूत का धोखा
आंट पर
रात में
खाट पर
मन में
दिन आकाश हो गया
रात पहाड़
सूरज गोरसी
और नीम का पेड़ घर
जिससे
दिन भर पत्ते झरते हैं.
सबसे सुनसान दोपहर में
सबसे सुनसान रेलवे स्टेशन
मेरे गाँव का.
सबसे ज़्यादा
परसा के पेड़
महुवा के फूल
बटुरा, तीवरा, चना वाला खेत
कम हो गया
ग़म हो गया
गाँव जाना भी कम हो गया.
पर भी गाँव
मतलब छाँव
अगर में
मगर में
मन में
शहर में.
महत्वाकांक्षा का पीला पत्ता
नशे में शहर
फूली सिंकी हुई
शहर कि सड़कें.
घास का एक तिनका
झूठ कि बड़ी सी नाव
चाहना
वक्षों से जाँघों तक का सफर
नज़र
मगर
भूख
भूत
चारों तरफ भूत
न धोखा
न झूठ
सिर्फ भूत
आईने में भी भूत.
नीम का पेड़ मेरा घर है
जिससे दिन भर पत्ते झरते हैं
और सड़क किनारे रोज़
कूड़े का ढेर इकठ्ठा हो जाता है.
waah..kya likhte ho yaar..
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