हवा से भड भड करती एक खिड़की है ,
एक मरी हुई किताब
जिसकी कभी मैंने सुध नहीं ली.
अधूरी पेंटिंग
हमेशा मुझे डांटती हुई ,
और कमरे के बिलकुल बीचोंबीच
तार पर सूखता अंडरवेयर
और एक कन्डोम का पैकेट
जिसे कई बार गुस्से में फेंक दूँ सोचते हुए
ड्राअर में वापस रख चूका हूँ.
जब तुम आई थी की दोपहर पर भी एक कविता है
आओगी तो सुनाऊंगा.
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