इस कदर गरीब हो गया
हूँ
की किसी भूल गए पुराने दुःख से
उधार में आँसू लाता हूँ
शायद इसी तरह से कोई
कविता बने
तुम्हारे बहुत पास पास चक्कर काटते हुए
थककर खर्च हो गए बिम्ब की तरह
लेट जाता हूँ
दो वाक्यों के बीच
तीसरी की राह जोहता हुआ
पर मरि कविता नहीं आती
बिल्ली आती है एक, तुम्हारी बला से
तुम्ही सम्हालो उसे
मैं तुम्हारे लिए मैगी बनाता हूँ
बाकि कविता जाए तेल लेने।
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