बुधवार, 11 जनवरी 2012

दुनिया नींद, सपना और पहाड़ है

                                     Artist - Myself





















मैंने पहाड़ कहने के लिए
अपना मुह खोल दिया
पहाड़ जित्ता बड़ा मुह
आँखे मुंद गईं
और तारे पहाड़ पर उतर आये
आँख में पहाड़ जित्ता बड़ा अँधेरा
पहाड़ में आँखों जित्ते तारे
ढेर सारे
मैंने फिर कहा - गढ़हा
और नींद के खोखल से निकाल लाया
एक सपना
ढेर सारे सपनो के बीच से
हाथी जित्ता बड़ा सपना
हाथी की परछाईं पहाड़ जित्ती
उतना ही अँधेरा
नींद में, गढ़हे में, सपने में

दुनिया नींद, सपना और पहाड़ है.

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