शनिवार, 21 जनवरी 2012

उड़कर दूर जाते हुए


                                                             Artist- Uday Singh



















धूप ऐसी थी 
की रोटी पर घी की तरह चुपड़कर खा लो
और हवा
पुराने छूट गए शहरों को याद करने जैसी
मै एकटक उसे देखता हूँ
मुनगे की पतली टहनियों पर कलाबाजी करते
मै उसे देखता हूँ
वो अपने में शायद
कुछ बडबडाती हुई पंख झटकती है
और पीले टिकलियों की तरह कई पत्ते
हवा में तिरछे होकर चुपचाप झरते हैं
वो मुझसे अनजान है
मै खुश हो जाता हूँ
(या खुश होने का नाटक करता हूँ)
मै उसे देखता हूँ
और उदास हो जाता हूँ
(या उदास हो जाने का नाटक करता हूँ)
मै उसे देखता हूँ
उड़कर दूर जाते हुए.

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