सोमवार, 20 फ़रवरी 2012

राजा के मूंछों पर बहार आई है

                                               Artist- Louise Bourgeois
                                                                               
















तुम्हे कुतिया कहने के लिए
मुझे कविता में कुतिया लिखना था
सिर्फ अच्छा अच्छा सोचूंगा
सोचते हुए
मै उस कहानियों वाले राजा के बगल से गुज़रता हूँ
जो अपने मूंछों के बाल गिनवाने को नौकर रखता था
पर बात यंही खत्म नहीं होती
और दृश्य में तुम भी थी
और मै भी था
और एक लंगड़ा आदमी
जो तुमसे बात करते हुए
मेरी हकलाहट से पैदा हुआ था
इस हकलाहट को मै कविता कहना चाहता था
पर दृश्य में तुम भी थी
तो तुम्हे कविता कहते हुए
अपने लिए कुत्ता लिखता हूँ
बोले तो इस बसंत में हम मिलकर
फिर सूखे पत्ते जनेंगे
जबकि राजा के मूंछों पर बहार आई है.

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