कि होंठ मुस्कुराकर फैलते हुए
चेहरे से बाहर नहीं निकल जाते थे
बस यही गनीमत.
२.
हँसते हँसते
गुब्बारे का दम फूल गया
इतनी खुशी थी
कि फूलते फूलते
गुब्बारा फट पड़ा.
३.
जंगल तो बस अब कहने भर को था
फिर भी
जब भी कंही कोई नया अंकुर फूटता
तब पूरा जंगल
हर हर हर करके हरहराता था
इतनी खुशी थी.
sahu g gajab hai
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